अधिदेश
टिड्डी चेतावनी संगठन, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग को अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों विशेष रूप से राजस्थाान और गुजरात राज्यों में रेगिस्तानी टिड्डी पर निगरानी, सर्वेक्षण और नियंत्रण का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। भारत में विदेशी टिड्डियों के झुंड के प्रकोप को उचित नियंत्रण उपाय अपनाकर रोका जाता है। टिड्डी चेतावनी संगठन रेगिस्तानी टिड्डी सूचना केन्द्र, AGP प्रभाग, रोम, इटली द्वारा जारी कृषि खाद्य संगठन के मासिक टिड्डी बुलेटिन के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदा टिड्डी की स्थिति की अद्यतन जानकारी रखता है। कृषि कार्यकर्ताओं द्वारा खेतों से टिड्डी स्थि्ति पर सर्वेक्षण आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं और उन्हें टिड्डी चेतावनी संगठन के मंडल कार्यालयों, क्षेत्रीय मुख्यालय, जोधपुर और केन्द्रींय मुख्यालय, फरीदाबाद को भेजा जाता है जहां पर उनको समेकित किया जाता है और टिड्डी के प्रकोप और आक्रमण की संभावना के अनुसार पूर्व चेतावनी के लिए विश्लेषण किया जाता है। टिड्डी की स्थिति से राजस्थान और गुजरात की राज्य सरकारों को अवगत कराया जाता है और उन्हें परामर्श दिया जाता है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को तैयार रखें कि वे अपने क्षेत्र में टिड्डी स्थिति पर लगातार निगरानी रखें और निकटतम टिड्डी चेतावनी संगठन कार्यालय को उनके स्तर पर आवश्यक कार्रवाई करने हेतु सूचित करें।
टिड्डी सर्वेक्षण के आंकड़ों को शीघ्रता से भेजने, उनका विश्लेषण करने, कंम्यूटरीकरण के माध्यम से सर्वेक्षण क्षेत्र का खाका तैयार करने तथा e-locust3/e-locust3M और RAMSES जैसे नवीन साफ्टवेयर अपनाने के लिए टिड्डी सर्वेक्षण और निगरानी के क्षेत्र में अनेक नव-परिवर्तन किए गए हैं। /p>
उद्देश्य
- अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों और बाध्यताओं के तहत अनूसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र में टिड्डी स्थिति पर निगरानी रखना, पूर्व चेतावनी जारी करना और नियंत्रण करना।
- टिड्डी और फुदकों पर अनुसंधान करना।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रींय संगठनों के साथ संपर्क और समन्वय स्थापित करना।
- टिड्डी चेतावनी संगठन के कर्मचारियों, राज्य के पदाधिकारियों, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के कार्मिकों और किसानों को प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन द्वारा मानव संसाधन विकास करना।
- टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाकर टिड्डी आपात स्थिति का सामना करने के लिए नियंत्रण क्षमता बनाए रखना।
तथापि, टिड्डी चेतावनी संगठन का मुख्य उद्देश्य खड़ी फसलों और अन्य हरी वनस्पति की रेगिस्तानी टिड्डी के प्रकोप से सुरक्षा करना है जो कि पूरे विश्व के रेगिस्तानी क्षेत्रों में सबसे अधिक खतरनाक नाशीजीव है।
कार्य
- राजस्थान और गुजरात राज्यों के अंतर्गत लगभग 2 लाख वर्ग किलोमीटर अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र (SDA) में टिड्डी के हमले से नुकसान को रोकने के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण के माध्यम से निरंतर सतर्कता रखना ।
- भारत में अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र (SDA) में शीघ्र नियंत्रण संचालन के माध्यम से टिड्डी संख्या के बढने एवं टिड्डी दलों के प्रवेश को रोकना ।
- दो देशों के बीच टिड्डियों की स्थिति की जानकारी के आदान-प्रदान के लिए भारत-पाक सीमा बैठक आयोजित करना ताकि प्रभावी ढंग से स्थिति की निगरानी की जा सके और आगामी टिड्डी आक्रमण का खतरा,यदि कोई होतो, उससे निपटने के लिए तैयारियों को सुनिश्चित किया जा सके ।
- किसानों, अधिकारियों और राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करके उन्हें टिड्डियों की गतिविधियों, उनकी जीव विज्ञान और फसलों और अन्य वनस्पतियों पर टिड्डियों के कारण होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराना और रेगिस्तानी टिड्डियों की नवीनतम नियंत्रण तकनीकों की अद्यतन जानकारी प्रदान करना ।
- राज्य के अधिकारियों, बीएसएफ कर्मियों, पंचायत राज संस्थानों को उनके क्षेत्रों में किसी भी सक्रिय टिड्डी गतिविधियों की सूचना निकटतम टिड्डी मण्डल कार्यालय को सूचित करने हेतु सलाह देना ।
- भारत में टिड्डी की स्थिति के बारे में सभी संबंधित हितधारकों को सूचित करने के लिए पाक्षिक अंतराल पर रेगिस्तानी टिड्डी स्थिति बुलेटिन जारी करना।
- दिसंबर से मार्च माह तक टिड्डी के प्रतिकूल मौसम के दौरान टिड्डी चेतावनी संगठन द्वारा रबी सीज़न में राजस्थान और गुजरात राज्यों में चना, जीरा,अरंडी और सरसों आदि की फसलों के लिए किसान खेत पाठशाला (FFS) का आयोजन करके किसानों को फसलों में एकीकृत कीट प्रबंधन गतिविधियों की जानकारी देना। .
- रेगिस्तानी टिड्डी को नियंत्रित करने के लिए खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अंतर्गत दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों के संगठन (SWAC)और रेगिस्तानी टिड्डी नियंत्रण समिति (DLCC)की अंतर्राष्ट्रीय बैठकों का आयोजन करना ।
- क्षेत्रीय टिड्डी अनुसंधान केंद्र (FSIL) बीकानेर में टिड्डी जीव विज्ञान से संबन्धित अध्ययन करना एवं टिड्डी नियंत्रण के लिए जैव-कीटनाशकों के प्रयोग और टिड्डियों पर जैव-कीटनाशकों की प्रभावकारिता पर अनुसंधान का आयोजन करना ।