(क) एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आई.पी.एम.)
एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन गतिविधियां निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ 35 के.ए.ना.प्र. केन्द्रों के माध्यम से संचालित की जा रही हैं:-
- कृषक समुदाय में ए.ना.प्र. पद्धति को प्रचलित करना तथा लोकप्रिय बनाना।
- नाशीजीवों/रोगों की स्थिति का आकलन करने के लिए नाशीजीव देखरेख और निगरानी करना।
- किसानों के खेतों में छोड़ने के लिए जैविक नियंत्रण कारकों का व्यापक स्तर पर उत्पादन करना और प्राकृतिक जैव नियंत्रण कारकों का संरक्षण करना।
- रसायनिक कीटनाशकों के विकल्प के रूप में जैव-कीटनाशकों को बढ़ावा देना।
- कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों के बीच ए.ना.प्र. प्रौद्यौगिकी के प्रसार में सहायक की भूमिका निभाना।
- किसान खेत पाठशाला पद्धति के माध्यम से विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों को खेत आधारित प्रशिक्षण देकर ए.ना.प्र. में मानव संसाधन का विकास करना।
- फार्म स्तर पर क्षमता निर्माण का विकास करने के लिए कृषि विकास केन्द्रों/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों/भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के माध्यम से किसान खेत पाठशालाएं आयोजित करना।
- प्रगतिशील किसानों/कीटनाशक डीलरों/गैर-सरकारी संगठनों/विद्यार्थियों के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रम (दो और पांच दिवसीय) आयोजित करना।
- राज्य सरकारों/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए कृषि/बागवानी की प्रमुख फसलों पर पूरे मौसम के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
निदेशालय, किसान सुविधा नामक एक मोबाइल ऐप के माध्यम से, वनस्पति संरक्षण, आईपीएम व्यवहार आदि पर प्रासंगिक जानकारी प्रदान करके किसानों की सहायता कर रहा है।
ख. टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान (एल.सी.आर.)
टिड्डी चेतावनी संगठन में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं:-
- टिड्डी चेतावनी संगठनों द्वारा लगभग 2,00,000 वर्ग किमी. के अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र(राजस्थान, गुजरात, और हरियाणा के कुछ भाग) में टिड्डी की संख्या का नियमित व्यापक सर्वेक्षण और निगरानी करना, जो टिड्डी के प्रजनन और उनके आक्रमण पर निगरानी रखने के साथ-साथ इसकी संख्या पर नियंत्रण रखते हैं।
- इससे खड़ी फसलों और अन्य हरी वनस्पति को नुकसान होने से रोका जाता है जिसके फलस्वरूप उस क्षेत्र के निवासियों को वित्तीय क्षति होने से बच जाती है। जैविक उपायों द्वारा टिड्डी एवं फुदकों पर नियंत्रण के लिए देशज और विदेशी जैव-कारकों की प्रभावोत्पादकता पर किये जाने वाले अनुसंधान से पर्यावरण को रसायनिक कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है।
- दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान टिड्डी चेतावनी संगठन के पांच सर्किल कार्यालयों और 23 टिड्डी चौकियों का विलय करके इसका पुनर्गठन किया गया है जिसका एक केन्द्रीय मुख्यालय फरीदाबाद में, एक क्षेत्रीय मुख्यालय जोधपुर में और 10 टिड्डी सर्किल कार्यालय क्रमश: बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, पालनपुर, भुज, जालौर, फलौदी, नागौर, सूरतगढ़ और चुरू में हैं। इसके अतिरिक्त एक टिड्डी क्षेत्र अन्वेषण केन्द्र बीकानेर में स्थित है।
ग. केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति (सी.आई.बी. एण्ड आर.सी.)
के.कीट. बोर्ड एवं पंजीकरण समिति (सी.आई.बी. एण्ड आर.सी.) सचिवालय अन्य संबंद्ध मामलों के साथ-साथ के.की. बोर्ड एवं पं. समिति को सौंपे गए कार्य से सीधे तौर पर जुड़े हुए उत्तरदायित्वों का वहन करता है। इसमें निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:-
- कीटनाशकों का पंजीकरण प्रदान करने के लिए आवेदन पत्रों पर कार्रवाई करना जिसमें प्रत्येक माह पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदन के पश्चात पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जांच-पड़ताल करना शामिल है।
- अधिनियम की अनुसूची में नए कीटनाशकों को शामिल करने संबंधी मामलों पर कार्रवाई करना।
- कीटनाशकों के पंजीकरण के पश्चात के मामलों पर कार्रवाई करना।
- अनुसंधान, परीक्षण और जांच के प्रयोजन से कीटनाशकों के नमूने की मात्रा के आयात के लिए आयात परमिट जारी करना।
- गैर-कीटनाशकीय प्रयोग के लिए कीटनाशकों के आयात के लिए आयात परमिट जारी करना।
- सचिवालय से संबंधित अपीलों, सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं , कोर्ट संबंधी मामलों आदि पर कार्रवाई करना।
- कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए वैज्ञानिक तौर पर डाटा तैयार करने और डाटा की अपेक्षाओं को विनिर्दिष्ट करने के लिए ड्राफ्ट(मसौदा) दिशा-निर्देश तैयार करना।
- केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ कीटनाशक उद्योग को तकनीकी मामलों पर परामर्श देना।
- अधिनियम और नियमों में संशोधन करना।
- कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने, रोक लगाने और उनका प्रयोग जारी रखने के लिए कीटनाशकों की पुनरीक्षा करना।
- नीतिगत मामलों पर निर्णय लेनेके लिए के.की.बोर्ड की बैठकें करना। साथ ही पंजीकरण, पृष्ठांकन और आयात परमिट प्रदान करने के लिए पंजीकरण समिति की बैठकें आयोजित करना।
- कृषि उत्पादों पर कीटनाशकों की सहनशीलता सीमा/अधिकतम अवशेष सीमा निर्धारित करने की सुविधा प्रदान करना।
घ. केन्द्रीय कीटनाशी प्रयोगशाला (सी.आई.एल.)
- अधिनियम के तहत किसी अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा भेजे गए कीटनाशकों के नमूनों का विश्लेषण करना और संबंधित प्राधिकारी को विश्लेषण के प्रमाणपत्र भेजना।
- अधिनियम के उपबंधों के तहत कीटनाशकों के अवशेषों की सामग्री के नमूनों का विश्लेषण करना।
- कीटनाशकों के पंजीकरण की शर्तों को सुनिश्चित करने के प्रयोजनार्थ आवश्यक जांच-पड़ताल करना।
- कीटनाशकों की प्रभावोत्पादकता और विषाक्तता निर्धारित करना।
- केन्द्र सरकार द्वारा या केन्द्र सरकार की अनुमति और केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड से परामर्श करने के बाद राज्य सरकार द्वारा इसे सौंपे गए अन्य कार्यों को पूरा करना।
- कीटनाशकों की गुणवत्ता और अवशेषों की निगरानी करने के लिए कीटनाशकों के संबंध में राष्ट्रीय मानक तैयार करने में सहायता देना।
ड़. तकनीकी विधायी सेल (टेक्नो-लीगल सैल)
- मुख्यालय में रसायनिक और जैव कीटनाशकों के परीक्षण के संबंध में क्षेत्रीय कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं के कार्य का समन्वय करना।
- क्षे.की.परी. प्रयोगशालाओं से प्राप्त नमूनों की विश्लेषण रिपोर्टों को बिल बनाने और सील करने के बाद केन्द्रीकृत कोर्डिंग सैल के माध्यम से अग्रेषित करना।
- जिन राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाएं नहीं हैं अथवा उनमें पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, उनके सभी कीटनाशकों के परीक्षण के लिए क्षे.की.परी. प्रयोगशालाओं की विश्लेषण क्षमता अभिनिर्धारित करना।
- क्षे.कीट.परी. प्रयोगशाला/ राज्य कीट.परी.प्रयोगशाला में विश्लेषणात्मक सुविधाओं को अद्यतन करना/उन्नयन करना।
- राज्य कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण/स्थापना के लिए सहायता अनुदान रिलीज करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त प्रस्तावों की तकनीकी दृष्टि से जांच करना और प्रस्तावों को कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग को भेजना।
- सहायता अनुदान के उपयोग की निगरानी करना।
- केन्द्रीय कीटनाशी निरीक्षकों को अधिसूचित करना और उनके काम की निगरानी करना।
- राज्य, केन्द्रीय कीटनाशक निरीक्षकों आदि को मार्गदर्शन प्रदान करना।
- राज्य कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं की तकनीकी लेखा-परीक्षा करना।
- उक्त मदों की सांख्यिकी सूचना तैयार करना/समेकित करना।
च. राष्ट्रीय कीटनाशक अभिदेशन संग्रह (एन.पी.आर.आर.)
- यह प्रयोगशाला प्रारम्भ में तकनीकी ग्रेड के कीटनाशक लेकर उन्हें शुद्ध करके, उनका मानकीकरण करके उन्हें देश में कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं को सप्लाई करेगी।
- उसके पश्चात यह सभी तकनीकी ग्रेड के कीटनाशकों का संश्लेषण करेगी।
- मुख्य और गौण श्रेणी के मानक निर्धारित करेगी।
- सभी कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं को अभिदेशन मानक/प्रमाणित अभिदेशन सामग्री (सी.आर.एम.) सप्लाई करना। यह इन्हें निजी प्रयोगशालाओं को उपलब्ध कराने में भी सक्षम होगी।
छ. राष्ट्रीय कीटनाशक अन्वेषण प्रयोगशाला (एन.पी.आई.एल.)
- रसायनिक कीटनाशकों के साथ जैव-कीटनाशकों और जैव-उत्पादों के मिश्रण के प्रयोग का पता लगाना।
- सरकारी प्राधिकारियों द्वारा भेजे गए अन्य रसायनों/रसायन सामग्री के रूप में आयात किए गए नमूनों का विश्लेषण करके कीटनाशकों का पता लगाना।
- सभी कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं में कीटनाशक विश्लेषकों द्वारा कीटनाशकों के नमूनों के विश्लेषण की सत्यता का प्रमाणन करना।
- नए अणुओं से विश्लेषण की पद्धति विकसित करना/अधिप्रमाणन करना और उसे देश में सभी कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं को उपलब्ध कराना।
- पंजीकरण समिति के पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन सैल की सहायता करना।
ज. वनस्पति संगरोध विभाग
मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार हैं:-
- वनस्पति/वनस्पति उत्पादों के आयात को विनियमित/नियंत्रित करके फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले विदेशी नाशीजीवों के प्रवेश और प्रसार को रोकना।
- भारत के कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में सहायता प्रदान करना।
- व्यापारिक साझेदारी की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उत्पादकों और निर्यातकों को तकनीकी रूप से सक्षम और विश्वसनीय पादप-स्वच्छता प्रमाणीकरण प्रणाली प्रदान करके सुरक्षित विश्वव्यापी व्यापार को सुविधाजनक बनाना।
भारत सरकार ने वनस्पति संगरोध(भारत में आयात का विनियमन) आदेश, 2003 अधिसूचित किया है जिसके तहत भारतीय कृषि की सुरक्षा के लिए आयात की अनुमति देने से पहले कृषि सामग्री का नाशीजीव जोखिम विश्लेषण अनिवार्य है। वनस्पति संगरोध विनियमों को क्रियान्वित करने के लिए प्रमुख हवाईअड्डों, बन्दरगाहों और सीमावर्ती क्षेत्रों में कुल 57 वनस्पति संगरोध केन्द्र हैं।
प्रमुख गतिविधियां निम्नलिखित हैं:-
- वनस्पति/वनस्पति सामग्री के आयात की पादप स्वच्छता संबंधी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए नाशीजीव जोखिम विश्लेषण करना।
- कृषि जैव-सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय प्राणिजगत एवं वनस्पतिजगत को क्षति पहुंचाने वाले विदेशी नाशीजीवों एवं रोगों के प्रवेश को रोकने के लिए आयात की गई कृषि सामग्री का निरीक्षण करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय वनस्पति संरक्षण समझौते के तहत आयातकर्ता देशों की अपेक्षाओं के अनुसार निर्यात की जाने वाली कृषि सामग्री का निरीक्षण करना और पादप-स्वच्छता प्रमाण पत्र जारी करना।
- पहले से प्रवेश कर चुके विदेशी नाशीजीवों और रोगों का पता लगाना ताकि स्वदेशी संगरोध विनियम अपनाकर उन्हें रोका/नियंत्रित किया जा सके।
- वनस्पति सामग्री का प्रवेश पश्चात संगरोध निरीक्षण करना।
झ. राष्ट्रीय स्तर पर कीटनाशकों के अवशेषों की निगरानी करना (एम.पी.आर.एन.एल.)
- सब्जियों, फलों, अनाजों, मसालों, दालों, दूध, शहद, सिंचाई के पानी आदि में कीटनाशकों के अवशेषों की निगरानी करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना।
- लगभग 2% नमूनों में राष्ट्रीय और कोडेक्स के अधिकतम कीटनाशक अवशेष स्तर से अधिक कीटनाशक अवशेष पाए गए हैं।
- अधिकतम कीटनाशक अवशेष स्तर निर्धारित किए बिना भारत में कोई भी कीटनाशक पंजीकृत नहीं किया जाता है।
- अन्ततोगत्वा प्रमाणीकरण कार्यक्रम का विस्तार करना।