विभाग के बारे में

वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की स्था्पना वर्ष 1946 में वुडहैड कमीशन की सिफारिश पर भारत सरकार और राज्य सरकारों को वनस्पति संरक्षण से संबंधित सभी मामलों में परामर्श देने के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में की गई थी। निदेशालय के अध्यक्ष वनस्पति संरक्षण सलाहकार हैं। सतत कृषि विकास के लिए समग्र फसल उत्पादन कार्यक्रमों में वनस्पति संरक्षण कार्यनीति एवं गतिविधियों का विशेष महत्व है। वनस्पति संरक्षण गतिविधियों में वनस्पति संरक्षण के प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण के अतिरिक्त एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, वनस्पति संगरोध, कीटनाशकों के विनियमन, रेगिस्तानी क्षेत्रों में टिड्डी चेतावनी एवं नियंत्रण तथा अनुसंधान के माध्यम से नाशीजीवों के कारण फसलों को होने वाली क्षति को कम करने के उद्देश्य से किए जाने वाले क्रियाकलाप शामिल हैं। यह कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है। पूरे भारत में इसके विभिन्न अधीनस्थ कार्यालय है और भारत में वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय का वनस्पनति संरक्षण नेटवर्क निम्ना्नुसार है:-

विभाग के विषय में

उद्देश्य

  • फसलों में प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के साथ-साथ फसल संरक्षण प्रौद्यौगिकी में जैविक नियंत्रण पद्धतियों को बढ़ावा देने के माध्यम से एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन को लोकप्रिय बनाना और इसे अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साोहित करना।
  • कीटनाशी अधिनियम-1968 के तहत विनियामक उपायों के माध्यम से सुरक्षित और प्रभावी कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चिात करना।
  • वनस्पति संगरोध आदेश (भारत में आयात का विनयमन, 2003) के माघ्यम से विध्वंसक कीट एवं नाशीजीव अधिनियम-1914(डी.आई.पी. एक्ट 1914) को लागू करके भारतीय कृषि को हानि पहुंचाने वाले विदेशी नाशीजीवों के प्रवेश को रोकना।
  • वनस्पति संरक्षण से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों सहित सभी मामलों पर केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों को परामर्श एवं सहयोग देना।
  • अनुसूचित रेगिस्ताानी क्षेत्रों में टिड्डी पर निगरानी रखना और नियंत्रण करना।
  • वनस्पति संरक्षण प्रोद्यौगिकी में मानव संसाधन का विकास करना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर कीटनाशकों के अवशेषों की निगरानी करना।