विश्व में मनुष्य से भी पहले कीटों का अस्तित्व रहा है। वे जमीन के नीचे से लेकर पहाड़ी की चोटी तक सर्वव्यापी हैं। कीट मनुष्य की जिंदगी से बहुत अधिक जुड़े हुए हैं। इनमें से कुछ मनुष्यों के लिए लाभदायक हैं और कुछ बहुत अधिक हानिकारक हैं, इनमें से एक रेगिस्तानी टिड्डी है जो विश्व में सबसे अधिक हानिकारक कीट है। वे अनंतकाल से ही मनुष्य के लिए संकट बने हुए हैं।
टिड्डियां छोटे सींगों वाले प्रवासी फुदके होते हैं जिन पर बहुत से रंगों के निशान होते हैं और ये बहुत अधिक भोजन खाने के आदी होते हैं। ये झुंड (वयस्क समूह) और हापर बैंड्स (अवयस्क समूह) बनाने में सक्षम होते हैं। ये प्राकृतिक और उगाई हुई वनस्पति को बहुत अधिक क्षति पहुंचाती हैं। यह वास्तव में सोए हुए दानव हैं जो कभी-भी उत्तेजित हो जाते हैं और फसलों को बहुत अधिक क्षति पहुंचाते हैं जिसके परिणामस्वरूप भोजन और चारे की राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति पैदा हो जाती है।
विश्व में टिड्डियों की निम्नलिखित 10 प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं:-
क्र.सं. | टिड्डी का नाम | वैज्ञानिक नाम |
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1. | रेगिस्तानी टिड्डी | शिस्टोसरका ग्रेगेरिया |
2. | बोम्बे टिड्डी | नोमेडेक्रिस सुसिंक्टा |
3. | प्रवासी टिड्डी | लोकस्ट माइग्रेटोरिया मेनिलेंसिस; लोकस्ट माइग्रेटोरिया माईग्रेटोरिया-ओइड्स |
4. | इटेलियन टिड्डी | केलिप्टामस इटेलिकस |
5. | मोरक्को टिड्डी | डोसिओस्टोिरस मोरोक्केनस |
6. | लाल टिड्डी | नोमाडेक्रिस सेप्टेमफेसियाटा |
7. | भूरी टिड्डी | लोकस्टा्ना पार्डालिना |
8. | दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी | शिस्टोसरका पेरेनेंसिस |
9. | आस्ट्रे्लियन टिड्डी | क्रोटोइसिटिस टर्मेनिफेरा |
10. | वृक्ष टिड्डी | ऐनेक्रिडियम प्रजाति |
भारत में केवल चार प्रजातियां अर्थात रेगिस्तानी टिड्डी (शिस्टोिसरका ग्रेगेरिया), प्रवासी टिड्डी (लोकस्टा माइग्रेटोरिया), बोम्बेे टिड्डी (नोमेडेक्रिस सुसिंक्टा) और वृक्ष टिड्डी (ऐनेक्रिडियम प्रजाति) पाई जाती हैं। रेगिस्तानी टिड्डी भारत में और इसके साथ-साथ अन्य महाद्वीपों के बीच सबसे प्रमुख नाशीजीव प्रजाति है।

भारत में वर्ष 1926-31, 1940-46, 1949-55 के दौरान टिड्डी के प्रमुख आक्रमण हुवे तथा अंतिम टिड्डी चक्र वर्ष 1959-62 के दौरान था। यद्यपि वर्ष 1962 के बाद कोई टिड्डी प्लेग चक्र नहीं देखा गया है, तथापि वर्ष 1978 और 1993 के दौरान भारत में बड़े पैमाने पर टिड्डी समूहों का आक्रमण हुवा था । वर्ष 1993 के पश्चात,26 से भी अधिक वर्षों के अंतराल के बाद वर्ष 2019 में 276 तथा वर्ष 2020 (अगस्त, 2020 तक) में कुल 103 रेगिस्तानी टिड्डी के दलों का आक्रमण हुवा । जिसके कारण वर्ष 2019 में राजस्थान और गुजरात राज्य में कृषि फसलों को भारी नुकसान हुआ, जिसके लिए सरकार द्वारा प्रभावित किसानों को क्षति पूर्ति मुआवजा दिया गया है। वर्ष 2020 के दौरान टिड्डी प्लेग को रोकने के लिए स्थापित टिड्डी चेतावनी संगठन तथा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के द्वारा टिड्डी रोकथाम के लिए किए गए संचयी प्रयासों एवं खाद्य और कृषि संगठन के समग्र समन्वय के फलस्वरूप कोई फसल नुकसान नहीं हुआ है।
रेगिस्तानी टिड्डी गतिविधियों की वास्तविक समय रिपोर्टिंग करने के लक्ष्य के अंतर्गत Android मोबाइल आधारित अनुप्रयोग "eLocust3m"को वर्ष 2020 के दौरान लागू किया गया जिसके परिणामस्वरूप रेगिस्तानी टिड्डी नियंत्रण कार्य में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई। इसके अतिरिक्त टिड्डी नियंत्रण के लिए ग्राउंड कंट्रोल फ्लीट को मजबूत करने के उद्देश्य से उन्नत सुविधाओं के साथ नए वाहन संचालित ULV स्प्रेयर खरीदे गए हैं। वर्ष 2020 में भारत में पहली बार ड्रोन तकनीक को दुर्गम क्षेत्रों, पेड़ों के ऊपर तथा ऊंचे रेत के टीलों आदि में टिड्डी नियंत्रण के लिए प्रयोग किया गया,साथ ही राजस्थान राज्य में टिड्डियों के झुंडों / प्रजनन स्थलों पर कीटनाशकों के बड़े पैमाने पर छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग भी किया गया।